Menu
blogid : 11833 postid : 71

पहलवान सुशील कुमार के जज्बे को सलाम

Olympic 2012
Olympic 2012
  • 19 Posts
  • 6 Comments
जब दिल में लाखों करोड़ों लोगों की उम्मीदे हों और जीतने का जज्बा हो तो कोई भी कठिनाई आसान लगने लगती है. भारतीय पहलवान सुशील कुमार जब लंदन ओलंपिक के लिए भारतीय दल के ध्वजवाहक बनाया गए तो देश सुशील से पदक की उम्मीद पहले से ज्यादा करने लगा. सुशील कुमार ने अपने देशवासियों को निराश नहीं किया और भारत के लिए रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया. लंदन ओलंपिक में भारत की तरफ से रजत पदक जीतने के साथ ही सुशील कुमार देश के इकलौते खिलाड़ी बन चुके हैं जिसने लगातार ओलंपिक में दो पदक हासिल किए हों.  रविवार को खेले गए 66 किलोग्राम फ्रीस्टाइल मुकाबले में सुशील ने हर स्तर पर खिलाडियों को मात देते हुए फाइनल में अपनी जगह बनाई. फाइनल में उनका मुकाबला जापान के मजबूत खिलाड़ी  योनेमित्सू तातसुहीरो से हुआ जहां उन्हें 1-3 से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन  सुशील अपने इस हार के बाद भी बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक के रंग को बदलने में कामयाब हो गए. उन्हें इस ओलम्पिक में रजत पदक हासिल हुआ.
सुशील की इस जबरदस्त कामयाबी के बाद उन पर हर तरफ से इनामों और पैसे की बारिश होने लगी. दिल्ली सरकार ने सुशील को एक करोड़ रुपये, हरियाणा सरकार ने डेढ़ करोड़ रुपये और उनके एम्पलायर रेलवे ने 75 लाख रुपये देने की घोषणा कर दी.
सुशील कुमार का जीवन
सुशील कुमार का जन्म 26 मई, 1983 को दिल्ली के नजफगढ़ इलाके के बापरोला गांव में एक जाट परिवार में हुआ. उनके पिता दीवान सिंह दिल्ली परिवहन निगम में ड्राइवर थे जबकि उनकी माता कमला देवी गृहणी हैं. वह तीन भाइयों के परिवार में सबसे बड़े हैं. सुशील को बचपन से ही कुश्ती से लगाव था. उनका शुरू से ही ओलंपिक में पदक हासिल करना एक बहुत बड़ा लक्ष्य था. उन्होंने कुश्ती की प्रेरणा अपने चचेरे भाई संदीप से ली, इसके अलावा उनके पिता भी पहलवानी में माहिर थे.
विश्व चैंपियन और ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि हासिल की. उनकी शादी उनके गुरु महाबली सतपाल की बेटी स‌व‌ि सोलंकी से 18 फरवरी, 2011 को हुई.  इस शादी के बाद सुशील ने कहा था कि उन्होंने अपनी गुरु दक्षिणा में खुद को समर्पित कर दिया है. इस समय सुशील भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं.
सुशील कुमार का कॅरियर
29 साल के सुशील कुमार ने अपने कुश्ती की शुरुआत छत्रसाल स्टेडियम  से की. उस समय उनकी उम्र 14 साल थी. वह बचपन से ही अर्जुन पुरस्कार विजेता महाबली सतपाल से जुड़ गए थे, जिन्होंने उनके कौशल को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सुशील ने 2003 में एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया. वह 2004 के एथेंस ओलंपिक में 14वें स्थान पर रहे.  उन्होंने 2003,2005, 2007 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल कर अपनी ताकत को विश्व के सामने प्रदर्शित किया. बीजिंग ओलंपिक 2008 में हुए मुकाबले में सुशील ने कजाकिस्तानी पहलवान को मात देकर कांस्य पदक हासिल किया. तब से ही सुशील लोगों की नजरों में चढ़ गए. उन्होंने अपने प्रदर्शन को बरकरार रखते हुए 2010 के नई दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता.
2003 कांस्य, एशियन कुश्ती चैंपियनशिप
2003 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप
2005 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप
2007 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप
2008 कांस्य, एशियन कुश्ती चैंपियनशिप
2008 कांस्य, बीजिंग ओलंपिक्स
2009 स्वर्ण, जर्मन ग्रां प्री.
2010 स्वर्ण, विश्व कुश्ती चैंपियनशिप
2010 स्वर्ण, कॉमनवेल्थ गेम्स
सुशील को पुरस्कार
सुशील कुमार को 2005 में खेल पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया और 2009 में देश में खेल के शिखर सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न सम्मान से नवाजा गया. ओलम्पिक कुश्ती के इतिहास में यह भारत का चौथा पदक है. सबसे पहले केडी जाधव (1952) ने और उसके बाद सुशील कुमार (2008) ने कांस्य पदक जीते थे. इस बार लंदन  ओलंपिक में योगेश्वर ने कांस्य और फिर रविवार को सुशील ने रजत पदक जीता.

sushil kumarजब दिल में लाखों करोड़ों लोगों की उम्मीदे हों और जीतने का जज्बा हो तो कोई भी कठिनाई आसान लगने लगती है. भारतीय पहलवान सुशील कुमार जब लंदन ओलंपिक के लिए भारतीय दल के ध्वजवाहक बनाया गए तो देश सुशील से पदक की उम्मीद पहले से ज्यादा करने लगा. सुशील कुमार ने अपने देशवासियों को निराश नहीं किया और भारत के लिए रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया. लंदन ओलंपिक में भारत की तरफ से रजत पदक जीतने के साथ ही सुशील कुमार देश के इकलौते खिलाड़ी बन चुके हैं जिसने लगातार ओलंपिक में दो पदक हासिल किए हों.  रविवार को खेले गए 66 किलोग्राम फ्रीस्टाइल मुकाबले में सुशील ने हर स्तर पर खिलाडियों को मात देते हुए फाइनल में अपनी जगह बनाई. फाइनल में उनका मुकाबला जापान के मजबूत खिलाड़ी  योनेमित्सू तातसुहीरो से हुआ जहां उन्हें 1-3 से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन  सुशील अपने इस हार के बाद भी बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक के रंग को बदलने में कामयाब हो गए. उन्हें इस ओलम्पिक में रजत पदक हासिल हुआ.


Read :महिला बॉक्सिंग के लिए आदर्श बनीं मैरीकॉम


सुशील की इस जबरदस्त कामयाबी के बाद उन पर हर तरफ से इनामों और पैसे की बारिश होने लगी. दिल्ली सरकार ने सुशील को एक करोड़ रुपये, हरियाणा सरकार ने डेढ़ करोड़ रुपये और उनके एम्पलायर रेलवे ने 75 लाख रुपये देने की घोषणा कर दी.


सुशील कुमार का जीवन

सुशील कुमार का जन्म 26 मई, 1983 को दिल्ली के नजफगढ़ इलाके के बापरोला गांव में एक जाट परिवार में हुआ. उनके पिता दीवान सिंह दिल्ली परिवहन निगम में ड्राइवर थे जबकि उनकी माता कमला देवी गृहणी हैं. वह तीन भाइयों के परिवार में सबसे बड़े हैं. सुशील को बचपन से ही कुश्ती से लगाव था. उनका शुरू से ही ओलंपिक में पदक हासिल करना एक बहुत बड़ा लक्ष्य था. उन्होंने कुश्ती की प्रेरणा अपने चचेरे भाई संदीप से ली, इसके अलावा उनके पिता भी पहलवानी में माहिर थे.


विश्व चैंपियन और ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि हासिल की. उनकी शादी उनके गुरु महाबली सतपाल की बेटी स‌व‌ि सोलंकी से 18 फरवरी, 2011 को हुई.  इस शादी के बाद सुशील ने कहा था कि उन्होंने अपनी गुरु दक्षिणा में खुद को समर्पित कर दिया है. इस समय सुशील भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं.


सुशील कुमार का कॅरियर

29 साल के सुशील कुमार ने अपने कुश्ती की शुरुआत छत्रसाल स्टेडियम  से की. उस समय उनकी उम्र 14 साल थी. वह बचपन से ही अर्जुन पुरस्कार विजेता महाबली सतपाल से जुड़ गए थे, जिन्होंने उनके कौशल को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सुशील ने 2003 में एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया. वह 2004 के एथेंस ओलंपिक में 14वें स्थान पर रहे.  उन्होंने 2003,2005, 2007 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल कर अपनी ताकत को विश्व के सामने प्रदर्शित किया. बीजिंग ओलंपिक 2008 में हुए मुकाबले में सुशील ने कजाकिस्तानी पहलवान को मात देकर कांस्य पदक हासिल किया. तब से ही सुशील लोगों की नजरों में चढ़ गए. उन्होंने अपने प्रदर्शन को बरकरार रखते हुए 2010 के नई दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता.


2003 कांस्य, एशियन कुश्ती चैंपियनशिप

2003 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप

2005 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप

2007 स्वर्ण, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप

2008 कांस्य, एशियन कुश्ती चैंपियनशिप

2008 कांस्य, बीजिंग ओलंपिक्स

2009 स्वर्ण, जर्मन ग्रां प्री.

2010 स्वर्ण, विश्व कुश्ती चैंपियनशिप

2010 स्वर्ण, कॉमनवेल्थ गेम्स


सुशील को पुरस्कार

सुशील कुमार को 2005 में खेल पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया और 2009 में देश में खेल के शिखर सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न सम्मान से नवाजा गया. ओलम्पिक कुश्ती के इतिहास में यह भारत का चौथा पदक है. सबसे पहले केडी जाधव (1952) ने और उसके बाद सुशील कुमार (2008) ने कांस्य पदक जीते थे. इस बार लंदन  ओलंपिक में योगेश्वर ने कांस्य और फिर रविवार को सुशील ने रजत पदक जीता.


Read: प्रदर्शन के लिए हैवान बन जाते थे खिलाड़ी


Sushil kumar olympics 2012, sushil kumar wrestler olympics 2012, sushil kumar wrestler, sushil kumar silver, sushil kumar wife, London Olympics 2012 in Hindi.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh