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London Olympics 2012: पदकों का इतिहास

Olympic 2012
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history of olympic medalजमैका जैसे छोटे और कम जनसंख्या वाले देश के बारे में हम सोचते हैं कि कैसे एक यह छोटा सा देश ओलंपिक में मैडलों की लड़ी लगा सकता है? जबकि वहीं भारत जिसकी जनसंख्या और क्षेत्रफल जमैका से कई गुना ज्यादा है यहां एक पदक के लिए लोग तरस जाते हैं. अगर कोई पदक लाने वाला भी है तो हम उस पर निश्चित नहीं होते बल्कि उम्मीद करते हैं कि शायद वह खिलाड़ी इस बार पदक ले आए. अगर ओलंपिक में भारत के इतिहास पर नजर डालें तो कभी भारत की ऐसी स्थिति नहीं थी जैसी आज है. आज खिलाडियों के लिए ओलंपिक में मैडल लाना तो दूर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना भी टेढ़ी खीर साबित होता है.


London Olympic 2012 : ओलंपिक का अब तक का इतिहास


ओलंपिक में पदकों की बात करें तो ऐसे कई देश भी हैं जिन्होंने अपने मजबूत खेल प्रदर्शन की बदौलत पदकों की भरमार लगा दी है. भारत जैसे कई ऐसे देश भी हैं जिन्हें ओलंपिक में पदक पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है या फिर जिन्हें आज तक कोई पदक हासिल नहीं हुआ. आइए ओलंपिक में अब तक की पदक तालिका पर नजर डालते हैं:


10 सबसे ज्यादा पदक पाने वाले देश

देश स्वर्ण पदक रजत पदक कांस्य पदक कुल पदक
अमेरिका9307306382298
ब्रिटेन207255253715
फ्रांस191212233636
इटली190158174522
चीन163117106386
हंगरी159140159458
स्वीडन142160173475
ऑस्ट्रिया131137164432
जापान123112125360

नोट: ओलंपिक पदक तालिका में अमरीका का जहां पहला स्थान था वहीं सोवियत संघ का दूसरा. 1988 में विघटन से पहले जहां सोवियत संघ ने ओलंपिक में 395 स्वर्ण, 319 रजत, और 296 कांस्य पदक के साथ कुल 1010 पदक जीते वहीं विघटन के बाद रूस ने 108 स्वर्ण, 97 रजत और 110 कांस्य पदक जीते.


10 ऐसे देश जिनके नाम बड़े लेकिन काम छोटे

देश स्वर्ण पदक रजत पदक कांस्य पदक कुल पदक
भारत94720
आयरलैंड87823
मिस्र771024
इंडोनेशिया691025
पुर्तगाल471122
पाकिस्तान33410
इजराइल1157
मलेशिया0224
सऊदी अरब0112

ओलंपिक के इतिहास में 80 ऐसे देश हैं जिन्होंने ओलंपिक जैसे महाकुंभ में भाग तो लिया है लेकिन पदक के मामले में बिलकुल जीरो साबित हुए. फांस से सटे देश मोनाको ने अब तक 18 बार ओलंपिक में भाग लिया लेकिन अभी तक कांस्य पदक भी हासिल नहीं कर पाया. उसी तरह माल्टा ने 14 और फिजी ने 12 बार ओलंपिक में भाग लिया लेकिन पदक के मामले में उसका कहीं स्थान नहीं है. अगर हम वहीं भारत के पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, बंग्लादेश और म्यानमार की बात करें तो उन्होंने क्रमश: 11, 7, 7, और 15 बार ओलंपिक में भाग लिया लेकिन अभी तक एक भी पदक हासिल नहीं कर पाए. उम्मीद है लंदन ओलंपिक 2012 में उन देशों में कुछ देशों की किस्मत चमक जाए जो कई सालों से एक पदक का इंतजार कर रहे हैं.


London Olympics 2012 : क्या सुनहरा दौर था भारतीय हॉकी का


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